Thursday 31 August 2017

जिंदगी कोई एप नहीं-

गेम खेलो, खूब खेलो! अपनी गेम मत बजाओ। ये कोई मुंबईया (बॉलीवुड) या अंडरवर्ल्ड वाला 'गेम' नहीं है। क्यों मर रहे हो यार। जिंदगी इतनी आसानी से मत गंवाओं। जिंदगी की असल चुनौतियों से लड़ो। थैंक गॉड! की नोकिया के स्नैक वाले गेम ने किसी की जान नहीं ली माने कि कोई सच के सांप से जाकर नहीं बोला कि, 'ए सांप मुझे कांट'। नहीं तो सरकार मोबाइल ही बैन करवा देती! शुक्रिया नोकिया यूजर्स का जो कि स्नैक गेम में जान नहीं गंवाएं। गेम तो बस मनोरंजन और दिमागी कसरत के लिए होता है तो जान क्यों गंवानी। जान कोई एप नहीं है जो कि फिर इंस्टॉल कर लोगे!

'ब्लू व्हेल' (मोबाइल गेम) में मरने वालों तक मेरी बात नहीं पहुंचेगी। लेकिन इनके लिए बहुत अफसोस है। जो लोग 'ब्लू व्हेल चैलेंज' को पूरा करने के लिए मौत को गले लगा रहे हैं। उनको समझना चाहिए कि यह गेम है महबूबा नहीं और ना ही मिशन। हार जाओ ना यार लेकिन जिंदगी तो जीत जाओगे। चैलेंज और मरने का शौक रखते हो तो चलो बॉर्डर पर। वहां पर सब कुछ असली मिलेगा, चैलेंज और हथियार भी। मरने पर लोग अफसोस नहीं बल्कि सैल्यूट करेंगे।


जिस तरह 'ब्लू व्हेल' गेम में लोग पागल हुए हैं ठीक इसी तरह शक्तिमान धारावाहिक के कारण बच्चे छत से छलांग लगाने लगे थे। मर गए, क्या हुआ मुकेश खन्ना (शक्तिमान) का। 'ब्लू व्हेल गेम' में मरने वालों, गेम बनाने वाला जिंदा है और तुम मरे जा रहे हो। यह मोबाइल गेम है अंडरवर्ल्ड का गेम नहीं। जिंदगी में और भी मिशन है। मोबाइल गेम और मनोरंजन को मस्ती के लिए बनाया गया है। मरना पागलपंती है इसके सिवा और कुछ नहीं। एक बात और कहना चाहूंगा कि ऐसा गेम क्यों खेलना जिसमें जान गंवानी पड़े।